Ahi, Jamua Bazar, Mirzapur, U.P.

This is default featured slide 1 title

Go to Blogger edit html and find these sentences. Now replace these with your own descriptions.

This is default featured slide 2 title

Go to Blogger edit html and find these sentences. Now replace these with your own descriptions.

This is default featured slide 3 title

Go to Blogger edit html and find these sentences. Now replace these with your own descriptions.

This is default featured slide 4 title

Go to Blogger edit html and find these sentences. Now replace these with your own descriptions.

This is default featured slide 5 title

Go to Blogger edit html and find these sentences. Now replace these with your own descriptions.

कक्षा-9 से कक्षा-12 तक की सभी किताब डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें |

UP Board Class 12th NCERT Books Download


1- गणित (भाग 1 तथा भाग 2) 


2- भौतिकी (भाग 1 तथा भाग 2)

3- रसायन (भाग 1 तथा भाग 2)

4- जीव विज्ञान

5- English (अंग्रेजी)

Flamingo – Prose

Flamingo – Poetry

Vistas – Supplementary Reader


UP Board Class 11th NCERT Books Download




    UP Board Class 10th NCERT Books Download


    1- Maths Books (Hindi Medium)

    2- Science Books (Hindi Medium)


    3- Social Science Books


    इतिहास (भारत और समकालीन विश्व – II)


    भूगोल (समकालीन भारत – II)

    4- HINDI NCERT BOOKS


    स्पर्श (पद्य)




    UP Board Class 9th NCERT Books Download

    1- Mathematics (गणित)

    2- Science (विज्ञानं)

    3- Social Science (सामाजिक विज्ञानं)

    भारत और समकालीन विश्व – 1 (इतिहास)

    समकालीन भारत – 1 (भूगोल)

    10th hindi

    हिंदी गद्य का इतिहास -
         हिंदी गद्य का स्वरुप-
         गद्य हमारे दैनिक जीवन की भाषा है। गद्य की विषय वस्तु हमारी बोध वृत्ति पर  होती है। गद्य मष्तिष्क के तर्क प्रधान चिंतन  की उपज है। यह व्याहारिक होता है। गद्य कवियो की कसौटी कही  गई है। इसमें अपने भावों,विचारों को  व्यक्त करना सरल होता हैक्योंकि यह लय ताल, तुक और छंद से मुक्त रहता है।
        हिंदी गद्य साहित्य का विकास-
    आधुनिक हिंदी गद्य को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है

    1. भारतेन्दु युग- 1868 से 1900 ई ० 
    2. द्विवेदी युग-1900 से 1920 ई०  
    3. शुक्ल युग- 1920 से 1936 ई० 
    4. शुक्लोत्तर युग- 1936 से 1947 ई० 
    5. स्वांत्र्योत्तर युग- 1947 से अब तक 
    भारतेन्दु युग- भारतेन्दु जी को गद्य के जनक के रूप में जाना जाता है। भारतेन्दु जी ने संस्कृत, प्रचलित विदेशी शब्दों, तद्भव एवं देशज शब्दों का प्रयोग किया।   भारतेन्दु जी की प्रेरणा से ही इतिहास, भूगोल, धर्म,पुराण,उपन्यास,नाटक,निबंध आदि को लिखने के लिए लेखक प्रवृत्त हुए। 
    पत्रिका- कवी वचन सुधा, हिंदी प्रदीप, ब्राह्मण(भारतेन्दु हरिश्चंद्र), आनंद कादंबरी(बद्रीनारायण चौधरी)
    प्रमुख लेखक- श्रीनिवास, बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, राधाकृष्ण दास, कार्तिकप्रसाद खत्री, राधाचरण गोस्वामी, बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
    द्विवेदी युग- महावीर प्रसाद द्विवेदी ने द्विवेदी युग का आरम्भ किया। इस युग में भाषा का परिमार्जन हुआ इस काल में उपयोगी एवं ललित साहित्य की रचना हुई।
    प्रमुख लेखक- मुंशी प्रेमचंद्र, जयशंकर प्रसाद, बालमुकुंद गुप्त, पद्मसिंह शर्मा, श्यामसुंदर दास, रामचंद्र शुक्ल
    पत्रिका- सरस्वती  ( महावीर प्रसाद द्विवेदी)

    12 physics


    ENGLISH GRAMMAR

    PARTS OF SPEECH-
         किसी वाक्य में प्रत्येक शब्द  अलग- अलग कार्य है। कार्य  के अनुसार ये शब्द 8 प्रकार के होते है, इन्हे Parts of speech  (शब्द भेद ) कहा जाता है। ये निम्न प्रकार के होते हैं।

    1. Noun (संज्ञा )
    2. Pronoun (सर्वनाम)
    3. Adjective(विशेषण)
    4. verb(क्रिया)
    5. Adverb(क्रिया विशेषण)
    6. Preposition(सम्बन्ध सूचक अव्यय)
    Conjunction(संयोजक अव्यय)
    1. Interjection(विस्मयादि बोधक अव्यय)
         Noun- noun is the name of person place or thing. अर्थात किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु के नाम को संज्ञा कहते है। जैसे- Ram, Mirzapur, Fan, etc.
    संज्ञा के अनेक भेद हैं -
    1. Proper Noun (व्यक्तिवाचक संज्ञा )- किसी विशेष वस्तु , व्यक्ति या स्थान के नाम को Proper noun कहते हैं  . जैसे- Ram, The Geeta , Varanasi.
    2. Common Noun (जाति वाचक संज्ञा )- जिस शब्द से किसी जाति का पता चलता है , जाति वाचक संज्ञा कहलाता है।  जैसे- Man , Tree, mountain , book  .
    3. Collective Noun (समूह वाचक संज्ञा)- जो शब्द किसी समूह की व्याख्या करते है Collective noun  होते है।  जैसे- Class , army , student, mela 
    4. Material Noun (धातु वाचक संज्ञा )- विभिन्न धातुओं , एवं पदार्थों के नाम Material  noun के अंतर्गत आते हैं।  जैसे -Gold , Water , Wheat 
    5. Abstract Noun (भाववाचक संज्ञा)- जब कोई शब्द भाव प्रकट करता है तो abstract noun  के अंतर्गत आता है। जैसे- happiness , sorrow , excitement
    Pronoun - Pronoun is a word used in place of noun. अर्थात noun के बदले जो शब्द प्रयोग किये जाते हैं उन्हें Pronoun  कहा जाता है। जैसे- I, we, you, he, she, they, my etc.
         Pronoun अनेक प्रकार के होते हैं 
    1. Personal Pronoun (पुरुष वाचक सर्वनाम)- यह pronoun किसी  व्यक्ति या वस्तु के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे- I, we, you, he, she, they
         personal pronoun  के 3  person  होते हैं 
    • first person - किसी बात को कहने वाला या उत्तम पुरुष , जैसे- I , My, Mine, we, our, us
    • Second person- बात को सुनाने वाला या माध्यम पुरुष। जैसे - you, yours, thou,thine,thy 
    • third person- अन्य पुरुष जिनके बारे मेबात की जाती है, जैसे- He, She, they, their, his, her, it 
         2- 

    Class 12th जीव विज्ञान (जीवों में जनन )

    जीवों में जनन -
          प्रत्येक जीव इस पृथ्वी पर एक निश्चित अवधि के लिए जीवित रहता है इसके पश्चात् उनकी मृत्यु हो जाती है।  इससे उस जीव का स्तीत्व पृथ्वी से समाप्त न हो जाये , प्रत्येक जीव अपने समान संतान उत्पन्न करता है इससे उस जीव की संतति पृथ्वी पर विद्यमान रहती है। इसी प्रक्रिया को जनन कहा जाता है।
    जनन दो प्रकार का होता है
    अलैंगिक जनन -
         जनन की इस विधि में एकल जिव ही जनन करने की क्षमता रखता है।  इसके फलस्वरूप जो जीव उत्पन्न होता है वह अपने जनक के पूर्णतया समान होता है।  ये केवल एक दूसरे के समरूप  ही नहीं बल्कि अनुवांशिक रूप से भी एक दूसरे के समान होते है।  इन्हे क्लोन भी कहा जाता है।
        अलैंगिक जनन मुख्य  रूप से एक कोशिकीय जीवों एवं पौधों में होता है
     एक कोशिकीय जीवो में अलैंगिक जनन -
         प्रॉटिस्टा एवं मोनेरा संघ के जीवों में कोशिका विभाजन द्वारा जनन होता है।  इसमें  केन्द्रक दो भागों में विभाजित होता है इसके पश्चात् कोशिका दो भागों में विभक्त हो जाती है और प्रत्येक भाग एक वयस्क जिव के रूप में विकसित हो जाता है।
         यीस्ट में यह विभाजन एक सामान नहीं होता उसमे अनेक छोटी- छोटी कलिकाएं उत्पन्न हो जाती है और जनक कोशिका से जुडी होती है और  बाद में  होकर नए जिव के रूप में परिपक्व हो जाते हैं।
         विपरीत परिस्थितियों में अमीबा अपने चारो और एक कड़ा खोल बना लेता है जिसे पुती (Cyst) कहते हैं तथा अनुकूल परिस्थिति आने पर अमीबा अनेक spores  में  विभक्त हो जाता है  और अनेक वीजाणु  अमीबा विकसित हो जाते हैं।  इस जनन प्रक्रिया को विजाणुजनन कहा जाता है।
     अमीबा में द्विविखण्डन , यीस्ट में कलिकायन , क्लेमाइडोमोनस में विजाणु जनन 

       अनेक साधारण जीवों एवं पौधों में अलैंगिक जनन से आशय कायिक जनन से है।  हाइड्रा  में जनक हाइड्रा में कलिका के समान रचना उत्पन्न  होती है जो  बाद में अलग हो कर  हाइड्रा  को जन्म देता है।इस क्रिया को पुनरुद्ध्भवन कहते हैं। पौधों के विभिन्न भाग जैसे कन्द , प्रकंद , तने, पत्तियां, पर्व इत्यादि नए पौधे को उत्पन्न करने में सक्षम होते है।  इस प्रक्रिया को प्रवर्धन कहते हैं।
    हाइड्रा में पुनरुदभवन

    Study Materials for Class-10 Students

    रासायनिक अभिक्रिया -
         ऐसी अभिक्रिया जिसके फलस्वरूप रासायनिक क्रिया सम्पन्न होती है रासायनिक अभिक्रिया कहलाती है। इसके अंतर्गत निम्न प्रभाव दिखाई दे सकते है 
    •  अवस्था परिवर्तन 
    • रंग में परिवर्तन 
    • गैस का उत्सर्जन 
    • तापमान में पतिवर्तन 
    रासायनिक समीकरण -
          किसी रासायनिक अभिक्रिया के बारे मे संछिप्त एवं  सरल रूप में लिखना रासायनिक समीकरण कहलाता है.  उदहारण के लिए , सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ जस्ते की अभिक्रिया होती है तो जिंक सल्फेट और हाइड्रोजन गैस बनती है।  इसे समीकरण के रूप में निम्न प्रकार से लिख सकते हैं 
           Zn + H2SO4 → ZnSO4+ H2

    Study Materials for Class- 9


    Study materials for Class-11 Students


    Class-12 भौतिक विज्ञान (विद्युत् आवेश)

    विद्युत् आवेश -
            विद्युत् आवेश  वह  जिसके कारण पदार्थ में किसी वास्तु को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने का गुण आ जाता है। आवेश (इलेक्ट्रिसिटी)  इलेक्ट्रान शब्द से लिया गया है,जिसका अर्थ है अम्बर। प्राचीन  अनेक ऐसे युगल पदार्थ थे जिन्हे आपस में रगड़ने पर उनमे छोटे छोटे पदार्थों को आकर्षित करने का गुण  आ जाता था। 
           जब कांच की छड़ को रेशम से रगड़ते है तो कांच से कुछ इलेक्ट्रान  रेशम में आ जाते है, जिससे कांच में धन आवेश और रेशम में ऋण आवेश हो जाता है। 
           जब आवेशित वास्तुये एक दूसरे को आकर्षित करती है तो उनपर विपरीत आवेश होता है, इसे विजातीय आवेश कहा जाता है।  जब आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती है तो इसका अर्थ है की दोनों पर समान आवेश है इसे सजातीय आवेश कहते है। 
    चालक तथा विद्युत् रोधी -
       कुछ वस्तुएं अपने अंदर से आवेश को जाने देती है।  उनके भीतर अनेक इलेक्ट्रान स्वंतत्र रूप ,में होते है जो पदार्थ के भीतर गति कर सकते है उन्हें  चालक कहा जाता है. जबकि कुछ ऐसे पदार्थ होते है जिनमे विद्युत् प्रवाहित करने पर वे तीव्र प्रतिरोध उत्पन्न करते हैं उनमे से आवेश प्रवाहित नहीं हो पाता।  ऐसे  पदार्थ विद्युत् रोधी कहे जाते हैं। 
    कूलॉम का नियम-
         सन् 1785 में फ्रांस के एक physicist चार्ल्स ऑगस्टिन कूलॉम ने अपने नाम पर दिया जिसका उपयोग था यानि बिंदु आवेशों के बीच लगने बाला बल का मान जानना
    दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला बल दोनों आवेशों के गुणन फल के समानुपाती यानि directly proportional होता है और उन दोनों आवेशों की बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानपाती होता है अब वह बल आकर्षी या प्रतिकर्षि हो सकता है
    • कूलॉम ने बताया की यह एक प्रायोगिक नियम है
    • और लगने वाला बल केन्द्रीय और संरक्षी बल है
    • बल newton के गति के तीसरे नियम का पालन करता हैcoulomblawinhindi-1.jpg (553×148)
    मान लो दो बिंदु आवेश q1 और q2 है और इन दोनों आवेशों के बीच की दूरी r है तब
    दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला बल∝पहला आवेश ×दूसरा आवेश
    F∝q1×q2
    F∝1/r2
    तब इन दोनों को मिला कर कूलॉम के नियम का सूत्र बनता है
    F∝q1×q2/r²
    F=k×q1×q2/r²
    जहाँ k एक constant है जिसका मान 1/4πε0 होता है
    कुलाम के नियम की सीमाएं -
    • कूलॉम का नियम point charge के लिए है
    • static electricity में स्थिर आवेशों के लिए कूलॉम का नियम है
    • कूलॉम का नियम के लिए आवेशों के बीच की दूरी 10-15 m से ज्यादा होनी चाहिए